Business Executive
I have been involved in several philanthropic activities for past several years e.g., I have been a fundraiser for and also donating to “Isha Vidya” during Tata Mumbai Marathon (TMM). I also ran half Marathon for seven editions of TMM. Clearly, charity is a sure way of receiving (both peace, grace and sometimes blessings). My poem in this regard should be sufficient to explain my motivation.
दौड़
पीछे छूट जाने के भय और जीत जाने की आशा
के निरंतर द्वंद को शायद दौड़ कहते हैं।
ऐसी दौड़ में मैं अकसर भागा हूँ और अब चाहता हूँ
निकलना भय और आशा के इस झूले के पार
अब मैं भागना चाहता हूँ उन कुछ बच्चों के लिए
जिनकी नियती मैं परिवर्तित कर सकूँ
इससे क्याकि मैं उनके चेहरे नहीं जानता
मैं अपने चेहरे की मुस्कान में उनके चेहरे देख लूँगा
- Neeraj Sanghi